अखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन : परिचय

भारतरत्न महामना पं. मदनमोहन मालवीय द्वारा सन् 1917 में स्थापित अखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन भारतीय संस्कृति और संस्कृत वाङ्मय के प्रचार-प्रसार में समर्पण भाव से गत शताब्दी से कार्यरत है। इस संस्था के माध्यम से प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान, निर्धन एवं असहाय छात्रों को छात्रवृत्ति, प्राचीन-अर्वाचीन एवं दुर्लभ ग्रन्थों का प्रकाशन, कार्यशालायें, संस्कृत-सम्भाषण शिविर, संस्कृत-पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन आदि विभिन्न गतिविधियाँ सम्पन्न की जाती हैं।

आगे पढ़ें >>
Slide 1 Slide 2 Slide 3 Slide 3 Slide 3

अखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन : उद्देश्य

  • भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत वाङ्मय का प्रचार-प्रसार तथा संरक्षण-संवर्धन।
  • संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विशिष्ट विद्वानों को पुरस्कृत करना।
  • साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक ग्रन्थ, अतिदुर्लभ प्राचीन ग्रन्थ एवं नवीन तथा आधुनिक ग्रन्थों का प्रकाशन।
  • संस्कृत-संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु संगोष्ठी, सेमिनार, व्याख्यानमाला, कार्यशाला आदि का आयोजन।
  • वैदिक साहित्य में समुपलब्ध विषयों के ऊपर शोध हेतु शोधसंगोष्ठी एवं शोधकार्यशाला का आयोजन।
  • संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार एवं संरक्षणार्थ भाषा शिविर संचालन एवं प्रशिक्षण।
  • ज्योतिष, वास्तुशास्त्र एवं कर्मकाण्ड का प्रशिक्षण एवं परामर्श।
  • निर्धन असहाय छात्रों को छात्रवृत्ति।
  • शारीरिक स्वस्थता के लिए योगासन, प्राणायाम आदि की शिक्षा एवं प्रशिक्षण।

संस्कृत सम्मान : संस्कृतगौरव, संस्कृतभूषण, संस्कृतश्री

सम्मेलन प्रति वर्ष संस्कृत के सेवा में अमूल्य योगदान देने वाले तथा संस्कृत के क्षेत्र में विशिष्ट भूमिका निभाने वाले तीन विद्वानों को क्रमशः (1) डॉ गोस्वामी-गिरिधारी-लाल-संस्कृत गौरव सम्मान (2) श्रीमती-शीलादीक्षित-संस्कृतश्री सम्मान (3) संस्कृतभूषण सम्मान से अलंकृत करती है।

संस्कृत-रत्नाकरः

सम्मेलन द्वारा संस्कृत भाषा के संरक्षणार्थ एवं संवर्धनार्थ तथा समाज को संस्कृत से जोड़ने के लिए पत्रकारिता को माध्यम बनाकर संस्कृत-रत्नाकरः के नाम से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। जिसका प्रारम्भ 1938 ई. में किया गया था।

ई-पुस्तकालय

संस्कृत भाषा, साहित्य एवं शोध के उन्नयन हेतु ई-पुस्तकालय की स्थापना की गई है। यह एक डिजिटल मंच है जहाँ शोधार्थी, विद्यार्थी एवं संस्कृत प्रेमी दुर्लभ ग्रंथों, शोधपत्रों एवं अन्य महत्वपूर्ण साहित्य का अध्ययन एवं संकलन कर सकते हैं। यह परियोजना संस्कृत अध्ययन को सुगम एवं सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।