सम्मेलन प्रति वर्ष संस्कृत के सेवा में अमूल्य योगदान देने वाले तथा संस्कृत के क्षेत्र में विशिष्ट भूमिका निभाने वाले तीन विद्वानों को क्रमशः (1) डॉ गोस्वामी-गिरिधारी-लाल-संस्कृत गौरव सम्मान (2) श्रीमती-शीलादीक्षित-संस्कृतश्री सम्मान (3) संस्कृतभूषण सम्मान से अलंकृत करती है।
सम्मेलन द्वारा संस्कृत भाषा के संरक्षणार्थ एवं संवर्धनार्थ तथा समाज को संस्कृत से जोड़ने के लिए पत्रकारिता को माध्यम बनाकर संस्कृत-रत्नाकरः के नाम से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। जिसका प्रारम्भ 1938 ई. में किया गया था।
संस्कृत भाषा, साहित्य एवं शोध के उन्नयन हेतु ई-पुस्तकालय की स्थापना की गई है। यह एक डिजिटल मंच है जहाँ शोधार्थी, विद्यार्थी एवं संस्कृत प्रेमी दुर्लभ ग्रंथों, शोधपत्रों एवं अन्य महत्वपूर्ण साहित्य का अध्ययन एवं संकलन कर सकते हैं। यह परियोजना संस्कृत अध्ययन को सुगम एवं सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।