संस्कृत-रत्नाकरः

संस्कृत-रत्नाकरः - परिचय

सम्मेलन द्वारा संस्कृत भाषा के संरक्षणार्थ एवं संवर्धनार्थ तथा समाज को संस्कृत से जोड़ने के लिए पत्रकारिता को माध्यम बनाकर संस्कृत-रत्नाकरः के नाम से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है। इसके आद्य सम्पादक प्रो. मण्डन मिश्र तथा डॉ. गिरिधारी लाल गोस्वामी जैसे विद्वान रहे हैं, इस पत्रिका का पुनः प्रकाशन संस्था के महासचिव रमाकान्त गोस्वामी एवं डॉ. ओंकार नाथ द्वारा इसका पुनः प्रकाशन कर पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी के कर-कमलों द्वारा 1 जून 2014 को लोकार्पित कराया गया।

वर्तमान में इसके सभी अंक सफल रूप से प्रकाशित किये जा रहे हैं। पत्रिका में संस्कृत वाङ्मय के विभिन्न स्तम्भों को प्रमुखता से स्थान दिया जाता है, जिसके अन्तर्गत साहित्य, दर्शन, कर्मकाण्ड, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, पुराण, इतिहास आदि विषय सम्बन्धी विशेषज्ञ विद्वानों के शोध लेख तथा निबन्ध का प्रकाशन निरन्तर रूप से किया गया। अर्वाचीन संस्कृत तथा समयामायिक लेख तथा कविताएँ भी इस पत्र के अभिन्न अंग के रूप में पाठकों को पढ़ने के लिए लालायित करती हैं।

इसी तरह देश के विभिन्न स्थानों में आयोजित कार्यशाला, सेमिनार, सम्मेलन आदि गतिविधियों की पूर्व सूचना तथा समाचारों का प्रकाशन भी हो रहा है। इसके अलावा ज्ञानवर्धक तथा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समाचार भी प्रमुखता से प्रकाशित हो रहे हैं।

संस्कृत-रत्नाकरः - कार्यकारी-सूची

स्वामित्व : अखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन (रजि.)
अध्यक्ष : प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय, पूर्व कुलपति, श्रीलाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ
प्रधान संपादक (पदेन) : रमाकान्त गोस्वामी
संपादक : प्रो. शिवशङ्कर मिश्र
व्यवस्थापक मण्डल : ओ.पी. सर्राफ, आर.एन. वत्स 'एडवोकेट', ओ. पी. जिन्दल, एन. के. गोयल
ग्राफिक डिजाइनर : मनोज कुमार
संपादकीय कार्यालय : संस्कृत भवन, ए-10, अरुणा आसिफ अली मार्ग, कुतुब सांस्थानिक क्षेत्र, नई दिल्ली, 67
संपादक, प्रकाशक एवं मुद्रक : रमाकान्त गोस्वामी